AK Shayari

सिर कटे हैं झुके नहीं धड़ लड़े हैं रुके नहीं राजपूत 
सिंह नाम रख जग भयो क्षत्रिय भाइयों न कोई 
वचन के खातिर जो प्राण दिओ वही क्षत्रिय हुए

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