AK Shayari

मैंने खुदा से एक दुआ मांगी 
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दुआ में अपनी मौत मांगी खु
ने कहा मौत तो तुझे दे दूं पर 
उसका क्या जिसने हर 
दुआ में तेरी जिंदगी मांगी
 कौन जाने कब मौत का पैगाम आ जाए 
जिन्दगी की आखरी शाम आ जाए 
हम तो ढूंढते हैं वक्त ऐसा जब ह
जिंदगी आपके काम आ जाए
लम्हा लम्हा सांसे खत्म हो रही है
 जिंदगी मौत के पल्लू में सो रही है
 उस बेवफा से ना पूछो मेरी मौत की वजह
 वह तो जमाने को दिखाने के लिए रो रही है

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